मंगलवार, जुलाई 22, 2008
सोमनाथ दा के जज्बे को सलाम
लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ दा का भारतीय संविधान के प्रति सम्मान और अगाध निष्ठा को दर्शाता है उनका यह निर्णय कि संसद में वर्तमान सरकार के बहुमत साबित करने तक वह स्पीकर की कुर्सी से इस्तीफा नहीं देंगे। उनका यह जज्बा देश में कुकरमुत्ते की तरह उग रही राजनीतिक पार्टियों के साथ ही सत्ता हथियाने के लिए किसी भी हद तक जाने का तैयार रहने वाली राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के लिए भी एक सबक है, लेकिन सत्ता के मद में अंधे राजनीतिक दल सोम दा के इस निर्णय को कहां तक समझ पाते है यह उनकी भ्रमित रहने वाली बुद्धि पर निर्भर करता है। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लेफ्ट के इस सांसद ने केवल देश और अपने नैतिक कर्त्वय को तव्वजो दी, सोम दा जैसे यदि दो- चार सांसद भी इस देश में हो तो हमारे लोकतंत्र को भ्रष्ट होने के खतरे से कुछ हद तक निजात मिल सकती है। इस समय जिस स्थिति से देश व्यवस्थापिका और कार्यपालिका जूझ रही है उससे देश की जनता के सामने राजनीतिक पार्टियों का असली चेहरा सामने आ गया है। इस चेहरे के पीछे छुपे स्वार्थवाद को देश का हर नागरिक इस समय आसानी से समझ रहा होगा। यह पार्टियां ना हिंदू की है और ना ही मुस्लिम और ना ही किसी अल्पसंख्यक की यह सब अपने फायदे के लिए इस देश को किसी भी दुर्गति में पहुंचाने से बाज नहीं आने वाली है, अभी समय है दुनिया के सबसे बड़े जनतंत्र के नागरिकों जागो, उठो और अपना उल्लू सीधा करने वाले इन राजनीतिज्ञों को सबक सिखाने के लिए कमर कस लो।