मंगलवार, मार्च 10, 2009

शब्द और आवाज जहां थम जाती है...

कुछ ऐसा होता है जब आप कुछ कहने, सुनने और यहां तक कि शब्दों में अपने को बयां करने लायक नहीं रहते तब कुछ गुनगुनाने को मन करता है .....

हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं तोड़ा करते वक़्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते ,जिसकी आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते,शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा जाने वालों के लिए दिल नहीं तोड़ा करते, लगके साहिल से जो बहता है उसे बहने दोऐसी दरिया का कभी रुख नहीं मोड़ा करते

1 टिप्पणी:

निर्मला कपिला ने कहा…

haath chhute bhi to rishte nahi toda karte----- bahut hi sunder she--ar hai holi mubarak