अमृता प्रीतम पर आधारित ब्लॉग पर पढ़ी इन पंक्तियों ने मुझे आज कुछ ऐसा याद दिला दिया कि बस क्या कंहू॥ अतीत के सुनहरे पन्ने कहूं या सुनहली यादें या फिर पतझड़ के आगमन की शुरूआत ॥ किसी ने कहा था कि "तुम अपनी ज़िंदगी को अमृता प्रीतम की तरह जीना" क्या सोच के उस शख्स ने ये कहा था पता नहीं, लेकिन उस दिन मुझे उसकी ये बात चुभ सी गई थी, लेकिन आज महसूस करती हूं कि शायद ठीक ही कहा था॥ सच है कि अमृता प्रीतम जैसा इंसान सदियों में एक बार आता है, लेकिन इन सदियों में उनकी तरह भावों, अहसासों और सोच रखने वाले इंसान तो हो सकते है ना....
तेरी आँखों की मादकता याद आई बागों के पत्ते पर मोती चमकने लगे पर्वत एक नाज और अंदाज से सो रहे थे तेरे बिरहा ने मेरे दिल को बाहों में ले लिया पेडो पर बुलबुल के गीतों की आवाज उग आई फूलों के जाम सुगंधी से भरे हुए शाम की हवा ने सब जाम छलका दिए मेरे दिल में याद का प्याला छलक गया आज पानी के किनारे तेरी याद मैंने बाँहों में ले ली तेरी याद पत्थर सी ठंडी आज पानी के किनारे तेरी याद एक बेल सी नाजुक एक सपना नींद ने बाँहों में भर लिया ॥(आइबेक )
6 टिप्पणियां:
सुन्दर!!
होली महापर्व की बहुत बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!
ठीक कहा आपने अमृता जैसी हस्ती कभी-कभी ही आती है। आपने अमृता जी की याद फिर ताज़ा करवा दी। होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएं।
किसी ने कहा था कि "तुम अपनी ज़िंदगी को अमृता प्रीतम की तरह जीना" क्या सोच के उस शख्स ने ये कहा था पता नहीं, लेकिन उस दिन मुझे उसकी ये बात चुभ सी गई थी, लेकिन आज महसूस करती हूं कि शायद ठीक ही कहा था॥ सच है कि अमृता प्रीतम जैसा इंसान सदियों में एक बार आता है, लेकिन इन सदियों में उनकी तरह भावों, अहसासों और सोच रखने वाले इंसान तो हो सकते है ना....achahca ahsaas hai..ise jindha rakho
खुबसूरत यादें.
रंग और गुलाल का पर्व होली पर आपको मेरी तरफ से रंगीन बधाई । मस्ती से मनाइये होली पर्व
अच्छा लगा पढ़कर , आपको होली की ढेरों शुभकामनाएं !
एक टिप्पणी भेजें