रविवार, मार्च 21, 2010

जीवन मोड़ पर बिछड़ा ...

तिनका- तिनका नीड़ बनाया 
उस पर सारा प्रेम लुटाया
फिर एक हवा का अल्हड झोका..जड़ को चेतन..चेतन को जड़ करने आया
नीड़ मेरा थर -थर थराया..उसका तिनका- तिनका बिखरा और मेरा मन ऐसे बिफरा
जैसे जीवन मोड़ पर बिछड़ा ...  


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