तिनका- तिनका जोड़ कर बनाई गई जिन्दगी, जब धीरे-धीरे टूटती है।
तो उस दर्द का, उस जज्बाज का अहसास बड़ी मुश्किलों भरा होता है।
पल-पल टूटते रिश्तों को जोड़ने की कसक, हर क्षण पास होकर भी दूर होने की तड़प
और भी ना जाने कैसे-कैसे खौफनाक मंजर,दिलों-दिमाग से गुजर जाते है, लेकिन दिल फिर भी कहता है कि दोष तो उसका भी ना था और ना ही मेरा कसूर था शायद हर बार की तरह मेरी किस्मत को ये ही मंजूर था।
1 टिप्पणी:
accha hai.. likhte rahiye..
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