आज फिर रखा है कदम दर्द की देहरी में
होता रहता है मेरा आवागमन इस दुख के आशियां में
रहती है हर पल उदासी छाई मेरे दिल में..
गम के कोहरे में चलती रहती हूं मैं..
हरपल रहूंगी इस धुंध में, कभी थकेंगे ना इस सफर में मेरे कदम
गम के आशियां में इस आस से छुप के रहती हूं हरदम..
कहीं कभी भटके से खुशी के सूरज की किरन आएगी मेरे आशियां में
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें